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रिटायर्ड अफसर जगन्नाथ बैंस के लिए नियमों की अनदेखी।


राजभवन विवाद: रिटायर्ड अफसर जगन्नाथ बैंस के लिए नियमों की अनदेखी।

हरियाणा में युवाओं की बेरोज़गारी पहले से ही चिंता का विषय है, लेकिन राजभवन से सामने आई नई खबर ने स्थिति और गंभीर बना दी है। रिटायर्ड अधिकारी जगन्नाथ बैंस, जिनकी सेवा 2019 में समाप्त हो चुकी थी, अब भी पूरी तनख्वाह और वीआईपी सुविधाओं के साथ पद पर बने हुए हैं। साथ ही, उन्हें अतिरिक्त चार्ज भी दिए जा चुके हैं।

अनुबंध नियुक्ति का मामला

श्री जगन्नाथ बैंस, निवासी मकान नंबर 699, सेक्टर-7, चंडीगढ़, को राजभवन हरियाणा में Comptroller Governor’s Household एवं Director Hospitality के पद पर अनुबंध आधार पर नियुक्त किया गया था। यह नियुक्ति 06.04.2015 की आउटसोर्सिंग पॉलिसी के पैरा (vii) के तहत 01.07.2019 से 30.06.2020 तक थी, या जब तक नियमित नियुक्ति न हो जाए। लेकिन तय अवधि के बाद भी उनकी सेवा लगातार बढ़ाई गई और वे आज तक पद पर बने हुए हैं।

नीतियों का उल्लंघन

हरियाणा सरकार की आउटसोर्सिंग पॉलिसी 2015 और डेपुटेशन पॉलिसी में साफ़ लिखा है कि नियुक्ति की समयसीमा और नियमों का सख्ती से पालन करना अनिवार्य है। इसके बावजूद बैंस को 2016 में चंडीगढ़ प्रशासन से डेपुटेशन पर लाया गया, tenure लगातार बढ़ाया गया और रिटायरमेंट के बाद भी अनुबंध और री-एम्प्लॉयमेंट के माध्यम से पद पर रखा गया। यह स्पष्ट रूप से नियमों का उल्लंघन है।

बेरोज़गार युवाओं के सवाल

राज्य में लाखों युवा प्रतियोगी परीक्षाओं और इंटरव्यू में मेहनत कर रहे हैं, लेकिन नियम केवल एक रिटायर्ड अफसर के लिए तोड़े जा रहे हैं। अगर री-एम्प्लॉयमेंट संभव है, तो यह सुविधा सभी रिटायर्ड कर्मचारियों को क्यों नहीं दी जाती? क्या यह विशेषाधिकार सिर्फ़ चुनिंदा लोगों के लिए सुरक्षित है?

दोहरी व्यवस्था: आउटसोर्स बनाम वीआईपी

राजभवन में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारी सुरक्षा और सुविधाओं के बिना काम कर रहे हैं—
• उन्हें डीए, एचआरए, मेडिकल सुविधा या पेड लीव तक नहीं मिलता।
• वहीं, बैंस जैसे रिटायर्ड अफसरों को पूरा वेतन, किरायामुक्त आवास/भत्ता, मेडिकल रिइम्बर्समेंट, मुफ्त बिजली-पानी और यात्रा-भत्ता मिलता है।

यह भेदभाव कर्मचारियों और आम जनता में नाराज़गी बढ़ा रहा है।

भ्रष्टाचार की गहराई: डॉ. रांगा का मामला

यह मामला केवल बैंस तक सीमित नहीं है। हाल ही में डॉ. सतीश रांगा को ओएसडी नियुक्त किया गया, जबकि उन्हें पहले भ्रष्टाचार के आरोपों में पद से हटा दिया गया था। उनकी पुनर्नियुक्ति यह दर्शाती है कि राजभवन न केवल नीतियों का उल्लंघन करता है, बल्कि भ्रष्ट अफसरों को भी पुनः पद पर लाकर सत्ता में बनाए रखता है।

कर्मचारियों और युवाओं की मांगें
• आउटसोर्स और डेपुटेशन पॉलिसी का सख्ती से पालन।
• 65 वर्ष से ऊपर री-एम्प्लॉयमेंट पर रोक।
• भ्रष्ट अफसरों की नियुक्ति तुरंत रद्द।
• युवाओं के लिए मेरिट और पारदर्शिता आधारित भर्ती व्यवस्था।

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