*सामाजिक समानता और न्याय की लड़ाई अब खुलकर लड़ी जाएगी*
सदियों से दबे-कुचले वर्गों को अब चुप नहीं रहना है।
हक और अधिकार के लिए आवाज उठाना समय की मांग है।
*पिछड़े, दलित और आदिवासी समाज के हक के लिए आवाज बुलंद करनी जरूरी है*
शिक्षा, रोजगार और सम्मान में समान अवसर मिलना हर नागरिक का अधिकार है।
भेदभाव और अन्याय के खिलाफ एकजुट होकर खड़ा होना होगा।
*अब तक शोषण और जातिवाद फैलाने वालों की सोच बदलने का समय आ गया है*
जातिवादी मानसिकता ने समाज को बांटा और विकास में बाधा डाली है।
अब इस सोच को बदलने के लिए खुलकर विरोध करना होगा।
*यह लड़ाई सम्मान, अधिकार और न्याय के लिए है*
सभी वर्गों को समान अवसर देकर ही सच्ची प्रगति संभव है।
हर व्यक्ति का आत्मसम्मान और पहचान सुरक्षित होनी चाहिए।
*अब आर-पार की लड़ाई होगी – सभी के समान अधिकारों के लिए*
यह संघर्ष सिर्फ एक वर्ग का नहीं, पूरे समाज के उत्थान का है।
बदलाव के लिए मैदान में आना ही होगा—डर और चुप्पी अब नहीं चलेगी।
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